इंश्योरेंस प्रीमियम समय पर चुकाने में ही समझदारी, डेडलाइन से चूके तो होगा ये नुकसान
पॉलिसी लैप्स होने के नुकसान
इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स होने से इसके नुकसान हैं. एक तो आपको पेनाल्टी देनी होती है और कुछ खास तरह की पॉलिसी में तो इसका नुकसान ज्यादा हो सकता है. जानकारों की मानें तो खासकर टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के लैप्स होने के तो बड़े नुकसान हैं.
क्लेम की राशि पाने में परेशानी
टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के लैप्स होने पर आपके परिजनों को आपकी मृत्यु के बाद दावे की राशि पाने में परेशानी आ सकती है. साथ ही अगर आप बाद में पॉलिसी खरीदते हैं तो आपको अधिक भुगतान भी करना होता है.
क्षमता के मुताबिक प्रीमियम अवधि चुनें
प्रीमियम चुकाने के कई ऑप्शन होते हैं. बीमा कंपनियां प्रीमियम पेमेंट के लिए सालाना, छमाही और तिमाही आधार पर भी भुगतान का ऑप्शन देती हैं. ऐसे में आप अपनी सुविधानुसार प्रीमियम की अवधि का चुनाव कर लें. हालांकि विभिन्न कंपनियों की पॉलिसी अलग हो सकती है. बीमा पॉलिसी में समय पर प्रीमियम भुगतान करना खास मायने रखता है.
आम तौर पर कंपनियां प्रीमियम चुकाने के लिए 30 दिनों का अतिरिक्त समय देती हैं. अगर किसी वजह से आप इस समयसीमा से चूक जाते हैं तो आपकी पॉलिसी लैप्स मानी जाती है. यूलिप (यूनिक लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) में अगर आप पहले पांच साल तक या लॉक इन पीरियड के दौरान प्रीमियम नहीं चुकाते हैं तो आपकी पॉलिसी लैप्स मानी जाएगी. आपको इससे इंश्योरेंस बेनिफिट से हाथ धोना पड़ सकता है.
कंपनियां बीमा पॉलिसी को रिवाइव करने के ऑप्शन देती हैं. लेकिन नई और रिवाइव्ड (पुनर्जीवित) इंश्योरेंस पॉलिसी की लागत में अंतर आ जाता है. यानी पॉलिसी लैप्स होने से उसपर प्रीमियम का भार अधिक हो जाएगा. (फोटो - रॉयटर्स, पीटीआई, पिक्साबे)